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r-mridul – waapsi كلمات اغاني

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छोड़ के जॉब, वापिस आ गया है आर_मृदुल
वो बुरी आदतों से आ गया है फार मृदुल
सीन बनाए लखनऊ से एन सी आर मृदुल
आयेंगे गाने तो बदलेगा समाचार मृदुल
बेकार मृदुल, आज जो बदल गया है
केवल घोसड़ा से विरोधी खेमा दहल गया है
आए नए लड़के, इनका मन थोड़ा मचल गया है
आए मृदुल लखनऊ, या राजा अपने महल गया है
जलने वाला जल गया है, बुझा पड़ा राख सा
आने वाला तूफान, भी बना धूल की फांक का
आंखों में भरी हुई, तो इलाज़ करो आँख का
और आंखे मेरी भरें, जब गाना पहुंचे लाख का
साख का शौक़ीन, कभी पैसों पे ना भागता
और सपनों के पीछे दौड़ दौड़ कर भी नहीं हाँफता
आराम को है त्यागता, छूटे खाना, और नाश्ता
तभी सालों से सीन में बेहतरीन बेसाख्ता
राब्ता अब खुद से केवल
लापता हूं खुद में केवल
नापता हूं खुद का लेवल
झाँकता हूं खुद में केवल
कांखता, दर्द में केवल
खांसता, सर्द में केवल
रास्ता, गर्द है केवल
दास्तां, दर्द है केवल _
केवड़ से गाने, फैलाते सुगंध
घेवर हैं खाने, पर घी न पसंद
ज़ेवर से फसाने, शब्द रत्नों का गलबंद
कलेवर जो दिखाने, तो समझते रहो छंद
बड़े हैं बुद्धि मंद, वो कैसे करें पसंद _
समझ पाते हैं चंद,उन्हें आता है आनंद
बनाऊं ऐसे सम्बन्ध जो रखे हौसला बुलंद _
तो कैसे करें बंद, हम करना यूं तुकबन्द
पर द्वंद चरम सीमा पे, खोपड़ी युद्ध भूमि सी
याद करोगे दोस्त, हस्ती हूं महरूमी सी
मर जाती मासूमी भी, घर की जिम्मेदारियों में
पर कल वो सपने में आए,और मुझे चूमी भी
हैं रूमी सी शायरियां, भरी पड़ी डायरियां
कितनों ने हाय दिया, मुंह में डायरिया
न कोई उपाय जिया, सबका जाय दिया
आवा बैठा संघे नहरिया किनारे चाय पिया
चाय पिया हमने यहां, काग़ज़ के गिलास में
चाय दिया हमको उसने, काग़ज़ के लिबास में
तो लिखा अगला गाना, काग़ज़ के एहसास पे
लाऊंगा सामने जल्द, काग़ज़ को तलाश के ।
वापसी !

r_mridul

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