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mohit chauhan – safar كلمات اغاني

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ओ बन्देया, ढूंढे है क्या
राहें तेरी, है घर तेरा
चलना वहाँ, जाना वहाँ
खुद तक कहीं, पहुँचे जहाँ
कदम उठा और साथ में हो ले
शहर शहर ये तुझसे देखो बोले
टुकुर टुकुर यूँ अपने नैना खोले
ज़िन्दगी पी ले ज़रा
बहती हवाओं के जैसे हैं इरादे
उड़ते परिंदों से सीखी हैं जो बातें
अनजानी राहों पे कोई, मैं चला
मैं सफ़र में हूँ, खोया नहीं
मैं सफ़र में हूँ…

थोड़ा आगे बढ़ें
मैंने जाना ये
सच है तो क्या है
उलझे उलझे सब सवाल
ज़िन्दगी है ये क्या
मैं कौन हूँ
मैंने ये जाना
मुझे मिल ही गए सब जवाब
देखो ना हवा कानों में मेरे कहती क्या
बोली वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली
मिट्टी उत्ते फरीदा मिट्टी ढुल्ली
चार दिना दा जी ले मेला दुनिया
फिर जाने होना क्या
बहती हवाओं के…

ये कैसा सफ़र है, जो यूँ डूबा रहा
जाता हूँ कहीं मैं, या लौट के आ रहा
वो चेहरे वो आँखें वो यादें पुरानी मुझे पूछती
ये नदिया का पानी भी बहता है कहता यही
मैं सफ़र में हूँ

كلمات أغنية عشوائية

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