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shamshad begum - chhod babul ka ghar كلمات الأغنية

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छोड़ बाबुल का घर मोहे पि’ के नगर
आज जाना पड़ा, ओ, आज जाना पड़ा
छोड़ बाबुल का घर मोहे पि’ के नगर
आज जाना पड़ा

संग सखियों के बचपन बिताती थी मैं
हाँ, बिताती थी मैं
ब्याह गुड़ियों का हँस_हँस रचाती थी मैं
हाँ, रचाती थी मैं

सब से मुँह मोड़ कर, क्या बताऊँ किधर
दिल लगाना पड़ा, ओ, आज जाना पड़ा
छोड़ बाबुल का घर मोहे पि’ के नगर
आज जाना पड़ा

याद मयके की दिन से बुलाए चली
हाँ, बुलाए चली
प्रीत साजन की मन में बसाए चली
हाँ, बसाए चली

याद कर के ये घर रोईं आँखें, मगर
मुस्कुराना पड़ा, ओ, आज जाना पड़ा
छोड़ बाबुल का घर मोहे पि’ के नगर
आज जाना पड़ा

पहन उल्फ़त का गहना दुल्हन मैं बनी
हाँ, दुल्हन मैं बनी
डोला आया पिया का, सखी, मैं चली
हाँ, सखी, मैं चली
ये था झूठा नगर, इसलिए छोड़ कर
मोहे जाना पड़ा, ओ, आज जाना पड़ा
छोड़ बाबुल का घर मोहे पि’ के नगर
आज जाना पड़ा

छोड़ बाबुल का घर मोहे पि’ के नगर
आज जाना पड़ा

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