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rahat fateh ali khan - zaroori tha lyrics

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लफ्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे
तूने जब आख़िरी खत मेरा जलाया होगा
तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे
देने वाला भी तुझे याद तो आया होगातेरी आँखों के दरिया का
उतरना भी ज़रूरी था
मोहब्बत भी ज़रूरी थी
बिछड़ना भी ज़रूरी था
ज़रूरी था की हम दोनों
तवाफ़े आरज़ू करते
मगर फिर आरज़ूओं का
बिखरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का
उतरना भी ज़रूरी था
बताओ याद है तुमको
वो जब दिल को चुराया था
चुराई चीज़ को तुमने
ख़ुदा का घर बनाया था
वो जब कहते थे
मेरा नाम तुम तस्बीह में पढ़ते हो
मोहब्बत की नमाज़ों को
कज़ा करने से डरते हो
मगर अब याद आता है
वो बातें थी महज़ बातें
कहीं बातों ही बातों में
मुकरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का
उतरना भी ज़रूरी था

वही हैं सूरतें अपनी
वही मैं हूँ, वही तुम हो
मगर खोया हुआ हूँ मैं
मगर तुम भी कहीं गुम हो
मोहब्बत में दग़ा की थी
सो काफ़िर थे सो काफ़िर हैं
मिली हैं मंज़िलें फिर भी
मुसाफिर थे मुसाफिर हैं
तेरे दिल के निकाले हम
कहाँ भटके कहाँ पहुंचे
मगर भटके तो याद आया
भटकना भी ज़रूरी था
मोहब्बत भी ज़रूरी थी
बिछड़ना भी ज़रूरी था
ज़रूरी था की हम दोनों
तवाफ़े आरज़ू करते
मगर फिर आरज़ूओं का
बिखरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का
उतरना भी ज़रूरी था

كلمات أغنية عشوائية

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