mohammad rafi - tumhari zulf ke saaye mein كلمات أغنية
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तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में शाम कर लूँगा
मोहम्मद रफी साहब
गजलों,नज़्मों की रूहानी तर्जों के सृजन
के लिए अपना लोहा मनवाने वाले
मदन मोहन साहब का जन्म 25 जून 1924 को
बगदाद में हुआ था,उनकी याद में
upload#718 @rkc1960
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के
साये में शाम कर लूँगा
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के
साये में शाम कर लूँगा
सफर इक उम्र का
पल मेंs तमाम कर लूँगा
फ़िल्म : नौनिहाल_1967
संजीव कुमार साहब इंद्राणी मुखर्जी जी
नज़र मिलाई तो
पूछूंगा इश्क का अंजाम
नज़र मिलाई तो
पूछूंगाs इश्क काss अंजाम
नज़र झुकाई तो
खाली सलाम कर लूँगा
नज़र झुकाई तो
खालीs सलाम कर लूँगा
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के
साये में शाम कर लूँगाss
संगीतकार : मदन मोहन साहब
गीतकार : कैफी आज़मी साहब
जहाने दिल पे
हुक़ूमत तुम्हे मुबारक होs
जहाने दिल पे
हुक़ूमत तुम्हे मुबार..क होss
रही शिकस्त
तो, वो अपने नाम कर लूँगा
रही शिकस्त
तो वो अपने नाम कर लूँगा
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के
साये में शाम कर लूँगाss
सफर इक उम्र का
पल में तमाम कर लूँगा
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