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kailash kher - praan pita ka كلمات أغنية

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[kailash kher “praan pita ka” के बोल]

[verse 1]
धुंधला गया रे, सारा जहाँ ये
ज़ख्म ये गेहरा मुझ में हुआ रे
अब क्या करूँ मैं? तू ही बतादे
जीने की मुझको अब तू वजह दे

[pre_chorus]
क्या ये सच है तेरा? या तो भ्रम है मेरा
ये समय का लिखा, है क्यों इतना बुरा?
मेरे भरोसे को तोड़ने लगा
पलकों के पानी से खेलने लगा
थम गया, थम गया वक्त ये मेरा
जाग जा, जाग जा परमेश्वरा

[chorus]
बिलक रहा प्राण पिता का
तड़प रहा प्राण पिता का
बिलक रहा प्राण पिता का
तड़प रहा प्राण पिता का

[post_chorus]
अंदर_अंदर उमड़ा समंदर
अंदर_अंदर उठा है बवंडर
अंदर_अंदर बिखरा, अंदर_अंदर टूटा
अंदर_अंदर हारा, अंदर_अंदर रूठा
अंदर_अंदर भटका, जैसे खोया कोई
नीले अंबर में है काली गुफा कोई
जग हारा, बेचारा, बंजारा, लाचारा
फिरता रहा
[verse 2]
हथेलियों को जबसे तेरी थामा
खुदको तेरी नज़रों से है जाना

[pre_chorus]
प्रेम तेरा, अमृत सा
मोल तेरा, जग से जुदा
अँधेरी रातों का जोत ले लिया
तूफ़ान में मुझको अकेला किया
छल गया, छल गया परमेश्वरा
तर के मेरे घर को मुझे बेघर किया

[chorus]
बिलक रहा प्राण पिता का
तड़प रहा प्राण पिता का
बिलक रहा प्राण पिता का (बिलक रहा)
तड़प रहा प्राण पिता का

[post_chorus]
अंदर_अंदर उमड़ा समंदर
अंदर_अंदर उठा है बवंडर
धुंधला गया रे, सारा जहाँ ये
(अंदर_अंदर उमड़ा समंदर)
ज़ख्म ये गेहरा मुझ में हुआ रे
(अंदर_अंदर उठा है बवंडर)
(जग हारा, बेचारा, बंजारा, लाचारा)
(फिरता रहा)

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