
divya kumar - gehra halka lyrics
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गहरा हल्का जुनूँ सा है इन दिनों
रग रग में तू लहू सा है इन दिनों
आँसू मुसाफ़िर हुवे हैं तेरे लिए
आँखों में हाज़िर हुवे हैं तेरे लिए
मेरा रोना, मेरा हँसना
मेरा जीना, मेरा मरना
मेरा होना तेरे लिए
मेरा रुकना, मेरा चलना
मेरा बुझना, मेरा जलना
मेरा होना तेरे लिए
गहरा हल्का जुनूँ सा है इन दिनों
रग रग में तू लहू सा है इन दिनों
कभी आके सिरहाने मेरे
थोड़े से सपने जला दे
कई जन्मों से जागता हूँ
दो चार पल तू सुला दे
मेरा रोना, मेरा हँसना…
मेरे सजदे ये कह रहे हैं
मिलता है सबकुछ दुआ से
तू माँगे से ना मिला तो
मैं छीन लूँगा ख़ुदा सा
गहरा हल्का जुनूँ सा…
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