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arjun kanungo, ip singh & madhubanti bagchi - naqsh كلمات أغنية

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[arjun kanungo, ip singh & madhubanti bagchi “naqsh” के बोल]

[verse 1: madhubanti bagchi]
जैसे हो रातों में जुगनू की बारिश
या फिर हो इश्क़ों में गिरने की साज़िश
सपनो के पर्दो को पूरा हटा के
करदूं तारों से गिरने की गुज़ारिश
बातें समुन्दर की थोड़ी बची हैं
बहती हवा भी अभी न थकी है
पैरों को रेत भी मखमल है लगती
एक ही बची है अब इस दिल की ख़्वाहिश

[refrain: madhubanti bagchi]
सुबह से कह दो ना
सूरज को रोके वो थोड़ी देर तो ज़रा
मैं लौटा ही हूँ ना
ख़्वाबों में रहने दे मुझको ना तू है जगा

[chorus: ip singh]
उनको मुख दिखलाए हैं जिनसे उसकी है प्रीत जी
उनको ही मिलता है वो जो उसके हैं मीत जी
काहे दर_दर ढूंढे तू? हर पग है संगीत जी
जो अंदर वो बाहर है, ये इस दुनिया की रीत जी

[post_chorus: ip singh]
ਨਸੀਬਾਨ ਦੀ ਏਹ ਕੇਹਕਸ਼ਾ ਵਾਗੀ ਜਾਵੇ
ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਜਾਵਾ
[verse 2: arjun kanungo]
तरसाए, तड़पाए
ये ज़िन्दगी है जैसे एक नशा
आज़माए ये थोड़ा कभी
कभी मुझपे हो जाए ये मेहरबान

[chorus: ip singh]
उनको मुख दिखलाए हैं जिनसे उसकी है प्रीत जी
उनको ही मिलता है वो जो उसके हैं मीत जी
काहे दर_दर ढूंढे तू? हर पग है संगीत जी
जो अंदर वो बाहर है, ये इस दुनिया की रीत जी

[refrain: madhubanti bagchi]
सुबह से कह दो ना
बातों में उलझा के रखे मुझे अँधेरा
मैं लौटा ही हूँ ना
रातों की गहराईयों में हूँ डूबा हुआ

[outro: madhubanti bagchi]
બલમ મોરે થારે બિન મ્હારા
જી ના લગે
જિત_જિત જાવે તુ
મ્હારા દિલ ઉત_ઉત ભાગે
ભાગે

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