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ankur tewari - musafir lyrics

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चादर की सिलवटें
खोई हो तुम उन में
मुस्कुराती सपनों में

अब उठोगी कुछ पल में

क्यूँ ना बनूँ मुसाफ़िर?
तेरी राहों में क़ाफ़िर बनके फिरा
मैं खो गया तुम जो मिले, हो_हो

काग़ज़ की कश्ती में
सागर की लहरों से
बेफ़िकर, बेग़रज़ हम मिले

क्यूँ ना बनूँ मुसाफ़िर?
तेरी राहों में क़ाफ़िर बनके फिरा
मैं खो गया तुम जो मिले, हो_हो

सुनते थे हम ये तुम पे है सब फ़िदा
जाम_ए_मोहब्बत का तुम में है नशा
ख़ुसरो और ग़ालिब के लफ़्ज़ों की ज़ुबाँ
तुम से क़यामत, तुम से है ये जहाँ

अंगड़ाई, करवटें
अब उठोगी कुछ पल में

क्यूँ ना बनूँ मुसाफ़िर?
तेरी राहों में क़ाफ़िर बनके फिरा
मैं खो गया तुम जो मिले, हो_हो

كلمات أغنية عشوائية

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